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ईरोम जी, यदि आप भगवान को मनाती तो…!!

आपकी सहेली
आपकी सहेली
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ईरोम जी, यदि आप भगवान को मनाती तो…, भगवान कब के मान जाते! कब से आफ्सा काला कानून रद्द हो जाता! क्योंकि हमारे भगवान बहुत ही रहम दिल है। अरे, एक बार एक चोर चोरी करने हेतु शंकरजी की पिंड पर ही पैर रखकर खड़ा हो गया! तब कायदे से शंकर जी ने उसे स्वयं के इस घोर अपमान के लिए शाप देना चाहिए था। ( यहां पर तो किसी भी देवी-देवता की, महापुरुषों की कोई भी मूर्ति पर किसी ने कुछ फेंक दिया तो खून की नदियां बह जाती है ) लेकिन शंकर जी तो ठहरे भोले-भंडारी! वे उस चोर पर भी प्रसन्न हो गए और उसे वरदान भी दिया। उनके मुताबिक, लोग तो उनपर जल, दूध, फूल, बेलपत्री ही चढ़ाते है इस चोर ने स्वयं को ही चढ़ा दिया! खैर, कहने का तात्पर्य सिर्फ इतना ही है कि हमारे देवता बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है। लेकिन भारत सरकार को प्रसन्न करना टेढ़ी खीर है।क्योंकि  आप 14 साल से अनशन पर है और सरकार के कान पर जू तक नहीं रेंगी! वैसे भी हमारे शास्त्रों में, पोथी-पुराणों में जितने भी ऋषि-मुनियों ने तप आदि किये है वे सब स्वयं की भलाई के लिए किये है। दूसरों के लिए किसी ने भी तप नहीं किया! आपका तप सभी ऋषि-मुनियों के तप से श्रेष्ठतम है। क्योंकि आप लाखों लोगो की भलाई के लिए लड़ कर रही है।इसमे आपका व्यक्तिगत लाभ कुछ भी नहीं है। आज जब सभी ‘मुझे क्या मिलेगा?’ सोचते है, आपने दूसरों के लिए जेल की कालकोठरी में अपने जीवन के स्वर्णिम 14 साल बिता दिए। धन्य है आप!! धन्य है आपकी महानता!! आप शायद इसी बात में विश्वास रखती है कि,

“रात नहीं ख्वाब बदलता है, मंजिल नहीं कारवां बदलता है।
जज्बा रखों बढ़ने का, एक दिन वक्त भी जरूर बदलता है।”


इरोम जी, हमारी सरकार चाहे वह राज्य की हो या केंद्र की जब तक किसी बात की अति नहीं हो जाती, जब तक जनता की ओर से अभूतपूर्व क्रांति नहीं होती तब तक नहीं जागती। आप कोई सेलिब्रेटी तो हो नहीं जिसकी एक दिन की भूख हड़ताल भी मिडिया 24 घंटे खबरों में दिखाएं! आप एक आम महिला है। इसलिए पिछले 14 सालों से बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से भूख हड़ताल पर है। मिडिया हर साल 2 नवंबर को आपके भूख हड़ताल की सालगिरह पर सम्पादकीय लेख लिख देता है, टी.व्हि. पर न्यूज में आपको स्थान मिल जाता है और हो गया मिडिया का काम खत्म!

इरोम जी, कभी न कभी यह देश आपकी क़ुरबानी को जरूर समझेगा। वह दिन जल्द ही आएगा जब यह काला कानून खत्म होगा। लाखों भारतियों को इससे मुक्ति मिलेगी।

इरोम शर्मिला के बारे में –

मणिपुर की इरोम शर्मीला 2 नवंबर 2000 से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून ( आफ्सा ) देश के उन सभी राज्यों जहां वो लागु है, को हटाने की मांग करनेवाली इकलौती ( एकला चलो की तर्ज पर ) हड़ताली है। इस काले कानून के तहत एक हवालदार को भी उनकी नजर में अगर किसी के अलगाववादी होने का महज संदेह भी हो तो भी उन्हें हत्या, उत्पीड़न और बलात्कार का भी अधिकार मिलता है। इस कानून से हजारों महिलाएं सैन्य बलों के यौन शोषण की शिकार बनी है। इस कानून से भारत की संसद ने चार करोड़ मासूम लोगों के साथ अन्याय किया है। इरोम को जब हिरासत में लिया गया तब वह 28 साल की युवा थी। आज 42 की हो चुकी है। इन 14 सालों में इरोम की जिंदगी मणिपुर की राजधानी इम्फाल में बने जेलनुमा अस्पताल के 15 गुना 10 फिट के कमरे में सिमित है। वो खुली हवा में सांस लेने को भी तरसती है! नाक के जरिये उन्हें जबरन तरल पदार्थ दिया जाता है। सरकार की बिना अनुमति के उनसे कोई नहीं मिल सकता। उन्होंने प्रण लिया है कि जब तक वे अपने मकसद में कामयाब नहीं होंगी, अपनी माँ से भी नहीं मिलेंगी! अदालत ने उन्हें हाल ही में रिहा कर पुन: गिरफ्तार किया है।

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